बुधवार, 13 फ़रवरी 2013

बहती पवन भाष्कर
































बहती पवन भाष्कर किरन सरिता गमन दासी नहीं 
कल्पना कवि की किसी परिणाम की प्यासी नहीं 
तोलना रचना किसी की तुला दान नहीं कोई 
हृदय के उदगार की एक आह कविलासी नहीं ||

ये नुमाइश मर्म की है दर्द को महसूस कर 
चाँद भी तप जायेगा  शब्दों की ये ऐसी अगन 
लेखनी ने राम को भी पुस्तक बना कर रख दिया 
कलम फक्कड़ है ये कभी इक गावं की वासी नहीं 
कल्पना कवि की किसी परिणाम की प्यासी नहीं ||.... मनोज 

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