बुधवार, 13 फ़रवरी 2013

हनुमंत नाम रख देने से क्या रामदूत बन जाओगे


हनुमंत नाम रख देने से क्या रामदूत बन जाओगे
राजा की भक्ति करके क्या राजपूत बन जाओगे
अपने ही शब्दों में खुद को बड़ा बताने वाले लोंगो
राख बनोगे जिस दिन उस दिन क्या भभूत बन जाओगे ||

रावण के अंतर्मन में भी ज्ञान पुंज का उजियारा था
दंभ भरा था दस शीशों में बडबोले का अंधियारा था
वर्तमान के शाह सिकंदर सभी काल के बने निवाले
धरा रह गया राज काज सब जिसके कल तक थे रखवाले ||

चिर परम्परा को झुट्लाकर क्या अग्रदूत बन पाओगे
राख बनोगे जिस दिन उस दिन क्या भभूत बन जाओगे ||

यदि भाव नहीं भर सकते हैं जो शब्दों के संयोजनकारी
क्यूँ कर कहते हैं वे खुद को तुलसी के अग्रज मनुहारी
काव्य धर्म की मर्यादा पर चंद्रग्रहण बन कर मत बैठो
सूरज को तुम समझो लेकिन हट धर्मी बन कर मर देखो

हिम खण्डों में विचरण करके क्या अवधूत बन जाओगे
राख बनोगे जिस दिन उस दिन क्या भभूत बन जाओगे ||.....मनोज

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